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शनि की साढ़े साती या ढैया से हैं परेशान? आजमाएं 15 मिनट का महाशक्तिशाली उपाय।

शनि की साढ़े साती या ढैया

शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है। जब शनि किसी व्यक्ति की जन्म राशि से संबंधित होते हैं, तो यह अवधि अक्सर संघर्ष, विलंब और अप्रत्याशित चुनौतियों से भरी होती है। इसी अवधि को ज्योतिष में साढ़े साती या ढैया कहा जाता है।

साढ़े साती (कुल 7.5 वर्ष) और ढैया (कुल 2.5 वर्ष) का नाम सुनते ही लोग अक्सर डर जाते हैं, क्योंकि इस दौरान जीवन के हर क्षेत्र में परीक्षाएँ शुरू हो जाती हैं—चाहे वह करियर हो, स्वास्थ्य हो, या रिश्ते।

लेकिन घबराएँ नहीं! शनि का उद्देश्य आपको सजा देना नहीं, बल्कि आपके कर्म को शुद्ध करना है। यदि आप सही उपाय और निष्ठा के साथ कर्म करते हैं, तो शनिदेव आशीर्वाद देते हैं। इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसा 15 मिनट का महाशक्तिशाली उपाय बताएँगे, जिसे आप शनिवार को आजमाकर तत्काल राहत महसूस कर सकते हैं।

क्या आप शनि से पीड़ित हैं? लक्षण और पहचान

यदि आप शनि की साढ़े साती या ढैया के प्रभाव में हैं, तो आपके जीवन में कुछ विशिष्ट लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों को पहचानना ही समस्या का पहला समाधान है।

साढ़े साती या ढैया के मुख्य लक्षण:

  • स्वास्थ्य: बेवजह जोड़ों में दर्द रहना, पुरानी बीमारियाँ परेशान करना, या आँखों में समस्या होना।

  • करियर और व्यापार: काम में लगातार विलंब होना, बनते-बनते काम बिगड़ जाना, या उच्च अधिकारियों से संबंध खराब होना।

  • धन हानि: पैसों का अचानक रुक जाना या अनावश्यक खर्च बढ़ जाना, जिससे कर्ज लेने की स्थिति आ जाना।

  • मानसिक तनाव: बिना किसी कारण के अकेलापन महसूस होना, चिड़चिड़ापन और निराशा हावी होना।

  • न्याय और विवाद: अचानक कोर्ट-कचहरी के मामलों में फँस जाना या कानूनी विवादों का बढ़ना।

    साढ़े साती और ढैया: कब और क्यों?

    साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि आपकी जन्म राशि से पिछली राशि में प्रवेश करते हैं और अगली राशि तक रहते हैं। यह अवधि 7.5 साल की होती है।

    ढैया तब शुरू होती है जब शनि आपकी जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में होते हैं। यह अवधि 2.5 साल की होती है।

    यदि आप इन लक्षणों को महसूस कर रहे हैं और आपकी राशि वर्तमान में शनि के प्रभाव में है, तो आपको तुरंत इन उपायों को शुरू करना चाहिए

    15 मिनट का महाशक्तिशाली उपाय (शनिवार विशेष)

    यह उपाय विशेष रूप से शनिवार के दिन किया जाता है और इसे करने में अधिकतम 15 मिनट का समय लगता है। यह शनि के बुरे प्रभाव को शांत करने का सबसे प्रभावी और त्वरित तरीका माना जाता है।

    उपाय की सामग्री और तैयारी:

    1. सरसों का तेल: लगभग 100 ग्राम शुद्ध सरसों का तेल (Shani Dev को प्रिय)।

    2. लोहे की कटोरी/दीपक: एक छोटा लोहे का पात्र या मिट्टी का दीपक।

    3. काले तिल या उड़द दाल: एक चुटकी काले तिल या 7 दाने साबुत काली उड़द दाल

    4. आसन: बैठने के लिए एक काला या नीला आसन (या कंबल)।


    शनि की साढ़े साती या ढैया चरणों की अचूक विधि:

    चरणसमय (लगभग) क्रिया
    1. संकल्प (Sankalp)1 मिनटस्वच्छ वस्त्र पहनकर, पीपल के पेड़ के पास जाकर हाथ जोड़ें। मन में अपनी समस्या बताएँ और शनिदेव से राहत देने का संकल्प लें।
    2. तेल समर्पण (Oil Offering)5 मिनटलोहे के पात्र में सरसों का तेल लें। उसमें काले तिल या उड़द दाल डालें। अब इस तेल में अपना चेहरा देखें (यदि संभव हो)।
    3. दीप प्रज्ज्वलन3 मिनटइस तेल को पीपल के पेड़ के नीचे या किसी शनि मंदिर में दीपक जलाकर अर्पित करें। यदि दीपक जलाना संभव न हो, तो तेल को पीपल की जड़ में डाल दें।
    4. मंत्र जाप4 मिनटवहीं शांत मन से बैठकर, रुद्राक्ष की माला से 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र की कम से कम एक माला (108 बार) का जाप करें।
    5. क्षमा याचना2 मिनटअपनी भूलों और गलत कर्मों के लिए शनिदेव से क्षमा याचना करें और भविष्य में अच्छे कर्म करने का संकल्प लें। बिना पीछे मुड़े घर वापस आ जाएँ।

    दीर्घकालिक राहत के लिए दैनिक उपाय
    भोजन और कर्म का महत्व

    यह 15 मिनट का उपाय त्वरित राहत देगा, लेकिन शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए आपको कुछ दैनिक कर्मों को अपनी आदत बनाना होगा।

    • पीपल की सेवा: हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और शाम को दीपक जलाएँ। पीपल को हिंदू धर्म में बहुत पूजनीय माना जाता है, और शनि दोष निवारण में इसका बड़ा महत्व है।

    • हनुमान चालीसा: शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वह उनके भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे। इसलिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

    • दान (सबसे बड़ा उपाय): शनि को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा तरीका है दान और सेवा

      • गरीब, मजदूर, सफाई कर्मचारी और ज़रूरतमंदों की मदद करें।

      • काले वस्त्र, काली दाल (उड़द), लोहा, और सरसों का तेल शनिवार को दान करें।

    • व्यवहार सुधार: अपने कर्मचारियों, सेवकों और माता-पिता के प्रति हमेशा विनम्र रहें। शनि उन्हीं को सबसे अधिक कष्ट देते हैं जो अपने कर्म में सच्चे नहीं होते।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    प्रश्न 1: साढ़े साती कितने साल चलती है?

    उत्तर: शनि की साढ़े साती कुल साढ़े सात (7.5) वर्ष तक चलती है। यह अवधि 2.5-2.5-2.5 साल के तीन चरणों में विभाजित होती है, जिसका प्रभाव अलग-अलग होता है।

    प्रश्न 2: साढ़े साती में कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?

    उत्तर: शनि की महादशा या साढ़े साती के दौरान अक्सर नीलम (Blue Sapphire) रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, नीलम धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली का विश्लेषण करवाना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह सभी के लिए शुभ नहीं होता।

    प्रश्न 3: क्या साढ़े साती हमेशा खराब होती है?

    उत्तर: नहीं। साढ़े साती हमेशा खराब नहीं होती। यह उन लोगों के लिए अत्यंत शुभ परिणाम लाती है जिन्होंने हमेशा अच्छे कर्म किए हैं और ईमानदारी से जीवन जिया है। यह अवधि कई बार व्यक्ति को उच्चतम सफलता भी दिलाती है।

    प्रश्न 4: शनि ढैया और साढ़े साती में मुख्य अंतर क्या है?

    उत्तर: साढ़े साती 7.5 वर्ष की लंबी अवधि होती है, जो राशि के आगे-पीछे और ऊपर से गुजरती है। ढैया 2.5 वर्ष की छोटी अवधि है, जब शनि जन्म राशि से चौथे (छोटी कल्याणी) या आठवें (अष्टम शनि) भाव से गोचर करते हैं।

    कर्म ही सबसे बड़ा उपाय है

    अगर आप शनि की साढ़े साती या ढैया से गुजर रहे हैं, तो याद रखें कि यह समय आपके जीवन को मजबूत बनाने के लिए आया है। हमारे द्वारा बताए गए 15 मिनट के महाशक्तिशाली उपाय को पूरी श्रद्धा से करें।

    सबसे बढ़कर, अपने कर्म को शुद्ध रखें। सच्चाई, ईमानदारी और मेहनत ही शनि देव को सबसे अधिक प्रिय है। जब आप अपने कर्मों में सुधार लाते हैं, तो शनिदेव अपने आप ही आपके कष्टों को दूर कर देते हैं और आपको भरपूर धन और सफलता प्रदान करते हैं।

    लेख से सम्बंधित कुछ प्रश्न — 

     

    पोस्ट टैंग — 


    —  आज का पंचांग

     मंगलवार, 04 नवंबर 2025 : 08 : 22 PM

    Sunrise 06:13 AM
    Sunset 06:37 PM
    Moonrise 07:00 AM
    Moonset 07:28 PM

    नक्षत्र —

    उत्तर फाल्गुनी - [ देवता: सूर्य, वैदिक नाम: रवि ]

     बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 03 : 10 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 06 : 14 AM तक

    तिथि —

    प्रतिपदा - [ पक्ष: शुक्ल पक्ष ]

     मंगलवार, 03 सितंबर 2024 : 07 : 25 AM से बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM तक

    द्वितीया - [ पक्ष: शुक्ल पक्ष ]

     बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 12 : 21 PM तक

    लेखक परिचय — 

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    नमस्कार मैं प्रकाश चंन्द आपका ज्योतिष आचार्य। मैं लगभग 25 वर्षों से ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा हुआ हूँ। मैंने काफी सारे लोगों के लिए सटीक भविस्यवाणी की है। साथ ही Today Rashifal in Hindi पर मैं डेली होरोस्कोप के ऊपर भविस्यवाणी करता हूँ। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई। जानकारी पसंद आती है। तो आप इसे अपने सगे-संबंधो के साथ भी साझा करें। 🧡

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