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धनतेरस 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और खरीदारी के 5 अचूक नियम

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस (Dhanteras), जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह केवल धन की देवी माँ लक्ष्मी को समर्पित नहीं है, बल्कि यह आरोग्य और समृद्धि की नींव रखने वाला पर्व है। पाँच दिवसीय दीपावली उत्सव का आरंभ इसी शुभ दिन से होता है, और माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य या खरीदारी तेरह गुना फल देती है।

आज के आधुनिक युग में, धनतेरस मुख्य रूप से सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदने तक सिमट गया है, लेकिन इसका धार्मिक, ज्योतिषीय और पौराणिक महत्व इससे कहीं अधिक गहरा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा 'धन' केवल भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि हमारा उत्तम स्वास्थ्य (आरोग्य) है, जिसकी सुरक्षा के लिए हम भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं।

धनतेरस का महत्व तीन प्रमुख पौराणिक घटनाओं से जुड़ा है, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ाते हैं:

भगवान धन्वंतरि का जन्म (स्वास्थ्य के देवता)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य (चिकित्सक) और आयुर्वेद का जनक माना जाता है। इसलिए, धनतेरस को 'धन्वंतरि जयंती' के रूप में भी मनाया जाता है। उनकी पूजा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि धन का उपभोग करने के लिए हमें अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त हो। यही कारण है कि इस दिन नए बर्तन खरीदने की परंपरा है, जो अमृत कलश का प्रतीक माने जाते हैं।

देवी लक्ष्मी का आगमन (धन की देवी)

समुद्र मंथन के दौरान ही भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों की सफाई और मुख्य द्वार पर दीप प्रज्वलन शुरू कर दिया जाता है।

राजा बलि और भगवान वामन की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, इसी त्रयोदशी तिथि पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि के अहंकार को तोड़ा था और तीनों लोकों को मुक्त कराया था। यह कथा हमें यह सिखाती है कि धन का उपयोग अहंकार रहित होकर धर्म और परोपकार के लिए करना चाहिए।

धनतेरस 2025: सटीक तिथि और शुभ मुहूर्त

किसी भी पूजा या खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व सबसे अधिक होता है। धनतेरस की पूजा मुख्य रूप से सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में की जाती है, क्योंकि यह समय देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।



विवरणधनतेरस 2025 की समय सारणीज्योतिषीय महत्व
धनतेरस 2025 तिथि18 अक्टूबर 2025, शनिवारशनि ग्रह का दिन होने के कारण स्थिरता और दीर्घकालिक लाभ देता है।
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ17 अक्टूबर 2025, शाम 07:00 बजेत्रयोदशी तिथि की शुरुआत ही शुभ मानी जाती है।
त्रयोदशी तिथि समाप्त18 अक्टूबर 2025, शाम 07:40 बजेपूजा के समय त्रयोदशी तिथि का होना आवश्यक है।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त18 अक्टूबर 2025, शाम 07:00 बजे से 07:30 बजे तकयह मुहूर्त स्थिर लग्न (Fixed Lagna) में आता है, जो धन की स्थिरता सुनिश्चित करता है।
खरीदारी का शुभ समय18 अक्टूबर 2025, सुबह 09:30 से दोपहर 01:30 बजे तक और शाम 06:15 से रात 08:30 बजे तकइस समय सोना, चांदी या बर्तन खरीदना विशेष फलदायी होता है।

विशेष ध्यान दें: पूजा का सबसे उत्तम समय केवल 30 मिनट का है (शाम 07:00 से 07:30) इस समय को किसी भी हाल में चूकें।

धनतेरस पूजा की सम्पूर्ण और सरल विधि

धनतेरस पर दो प्रमुख पूजाएं होती हैंशाम को लक्ष्मी-कुबेर-धन्वंतरि पूजा और रात में यम दीपदान दोनों की विधि यहाँ विस्तार से दी गई है:

पूजा की आवश्यक सामग्री

पूजा शुरू करने से पहले ये सामग्री तैयार रखें:

  1. प्रतिमाएं/चित्र: भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की मूर्ति या चित्र।
  2. कलश: तांबे या मिट्टी का कलश, गंगाजल, जल और आम के पत्ते।
  3. रोली/चंदन: तिलक लगाने के लिए।
  4. पुष्प: पीले (धन्वंतरि के लिए) और लाल (लक्ष्मी के लिए) फूल, कमल गट्टा।
  5. दीप और धूप: घी का दीपक (एक बड़ा, एक छोटा), तेल का दीपक (यम दीपदान के लिए), धूप, अगरबत्ती।
  6. नैवेद्य: फल, मिठाई, खील-बताशे (विशेष रूप से), और धान।
  7. अन्य: अक्षत (चावल), सुपारी, पान का पत्ता, कौड़ी, एक नई झाड़ू, और जो नई वस्तु खरीदी है।
  8. संकल्प: हाथ में जल और फूल लेकर संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से और किस देवता की पूजा कर रहे हैं।
  9. गणेश वंदना: सबसे पहले, विघ्नहर्ता भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें तिलक लगाकर पूजा शुरू करें।
  10. धन्वंतरि पूजन:
    • भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को जल से स्नान कराएँ और नए वस्त्र (अगर संभव हो) पहनाएँ।
    • उन्हें पीला चंदन, पीले पुष्प, और हल्दी समर्पित करें।
    • आरोग्य मंत्र: ' नमो भगवते धन्वंतराय अमृत कलश हस्ताय सर्व रोग विनाशाय नमः' का 108 बार जाप करें।
    • इस मंत्र के जाप से घर में रोगों का नाश होता है।
  11. कुबेर पूजन:
    • भगवान कुबेर को लाल चंदन और लाल वस्त्र अर्पित करें।
    • अपनी तिजोरी या धन के स्थान (जहाँ आप अपनी खरीदारी रखते हैं) पर कुबेर यंत्र या उनकी तस्वीर रखें।
    • कुबेर मंत्र: ' ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय नमः' का जाप करने से धन का प्रवाह बना रहता है।
  12. लक्ष्मी पूजन:
    • माता लक्ष्मी को लाल फूल, इत्र, कौड़ियाँ (जो धन का प्रतीक हैं) और कमल गट्टा अर्पित करें।
    • उन्हें मिठाई और खील-बताशे का भोग लगाएं।
    • पूजा के दौरान, आपके द्वारा खरीदी गई सोना/चांदी या बर्तन को माता लक्ष्मी के चरणों के पास रखें।
  13. तिजोरी और बही-खाता पूजा:
    • पूजा के अंत में, अपनी तिजोरी, बही-खाते (या लैपटॉप/टैबलेट, जो आपके व्यवसाय का प्रतीक है) और नई खरीदी गई वस्तुओं पर रोली से स्वास्तिक बनाकर तिलक करें।
  14. आरती और क्षमा याचना:
    • अंत में, सभी देवताओं की आरती करें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा माँगें।

 

यम दीपदान की विशेष विधि (अकाल मृत्यु निवारण)

यम दीपदान धनतेरस का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु के भय से बचाता है।

  • दीप का चयन: मिट्टी का एक बड़ा चौमुखा (चार मुख वाला) दीपक लें।
  • तेल और बाती: इसमें सरसों का तेल भरें और चार मुखों पर नई या पुरानी बाती (रुई की) लगाएं।
  • स्थान: घर के मुख्य द्वार से बाहर निकलकर दक्षिण दिशा की ओर (यमराज की दिशा) रखें।
  • मंत्र: दीप जलाते समय यह मंत्र बोलें:
  • 'मृत्युना पाशदंडाभ्यां कालेन मया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम॥'
  • नियम: दीपक रखने के बाद पीछे मुड़कर बिल्कुल देखें और सीधे घर के अंदर जाएं। यह दीपदान रात भर जलना चाहिए।

 

प्रश्न 1: धनतेरस 2025 में किस तारीख को है?

उत्तर: धनतेरस का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 मेंधनतेरस 18 अक्टूबर (शनिवार) को मनाया जाएगा।

प्रश्न 2: धनतेरस पर पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है?

उत्तर: धनतेरस की पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में होता है। 18 अक्टूबर 2025 को, पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त शाम 07:00 बजे से शाम 07:30 बजे तक (लगभग 30 मिनट) रहेगा। इसी समय माता लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करनी चाहिए।

प्रश्न 3: धनतेरस पर क्या खरीदना सबसे शुभ माना जाता है?

उत्तर: धनतेरस पर तीन वस्तुओं को खरीदना सबसे शुभ माना जाता है:

1.       धातु: सोना, चांदी, या पीतल/तांबे के बर्तन (आरोग्य के लिए)

2.       अन्न: साबुत धनिया या चावल (भंडार भरने

लेख से सम्बंधित कुछ प्रश्न — 

 

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—  आज का पंचांग

 मंगलवार, 04 नवंबर 2025 : 08 : 23 PM

Sunrise 06:13 AM
Sunset 06:37 PM
Moonrise 07:00 AM
Moonset 07:28 PM

नक्षत्र —

उत्तर फाल्गुनी - [ देवता: सूर्य, वैदिक नाम: रवि ]

 बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 03 : 10 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 06 : 14 AM तक

तिथि —

प्रतिपदा - [ पक्ष: शुक्ल पक्ष ]

 मंगलवार, 03 सितंबर 2024 : 07 : 25 AM से बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM तक

द्वितीया - [ पक्ष: शुक्ल पक्ष ]

 बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 12 : 21 PM तक

लेखक परिचय — 

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नमस्कार मैं प्रकाश चंन्द आपका ज्योतिष आचार्य। मैं लगभग 25 वर्षों से ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा हुआ हूँ। मैंने काफी सारे लोगों के लिए सटीक भविस्यवाणी की है। साथ ही Today Rashifal in Hindi पर मैं डेली होरोस्कोप के ऊपर भविस्यवाणी करता हूँ। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई। जानकारी पसंद आती है। तो आप इसे अपने सगे-संबंधो के साथ भी साझा करें। 🧡

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