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जानें ! पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व

Paush Putrada Ekadashi image

प्रिय पाठकों, मैं प्रकाश चंन्द आपका ज्योतिष आचार्य  Today Rashifal in Hindi  में आपका स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से एक अद्वितीय और पवित्र हिन्दू त्योहार  “पौष पुत्रदा एकादशी”  के बारे में चर्चा करेंगे। यह एक ऐसा साकारात्मक और सांस्कृतिक त्योहार है जो हमें अपनी आध्यात्मिकता की ऊंचाइयों की ओर प्रवृत्ति करने का मौका देता है।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व:

पौष पुत्रदा एकादशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे 'पुत्रदा एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु से धन्यलक्ष्मी की प्राप्ति की जाती है। पुराणों में एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इसके प्रताप से दुखों, त्रिविध तापों से मुक्ति और हजारों यज्ञों को करने के समान फल मिलता है। यहाँ इस महत्वपूर्ण एकादशी के प्रति विशेष भक्ति और श्रद्धाभाव के साथ इसके महत्व को समझाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि आप इसे अपने जीवन में सही तरीके से मना सकें और इसके लाभानुभव कर सकें।

पौराणिक कथा:

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व विष्णु पुराण में स्पष्ट रूप से मिलता है। कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब स्वर्ग के राजा इंद्र अपनी भूमि को खो बैठे। उन्होंने विष्णु भगवान से सहायता मांगी, तो भगवान ने कहा कि पौष मास की शुक्ल एकादशी के दिन व्रत करने से वह अपनी स्वर्ग भूमि को पुनः प्राप्त कर सकेंगे। इसके पश्चात्, इंद्र ने इस व्रत का पालन किया और स्वर्ग वापस प्राप्त किया।

धार्मिक महत्व:

पौष पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने और इस व्रत पालन करने से संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए इसे 'पुत्रदा' कहा जाता है। 

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत:

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन विशेष पूजा विधि होती है जो भगवान विष्णु को समर्पित होती है। लोग मंदिरों में समूहिक पूजा करते हैं और अपने घरों में भी विशेष पूजा आयोजित करते हैं। विशेष रूप से तुलसी के पत्तों, फलों, और फूलों का उपयोग किया जाता है जो पौष पुत्रदा एकादशी को और भी पवित्र बनाता है।

1. पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को व्रत से पूर्व दशमी के दिन एक समय सात्विक भोजन करना चाहिए जिससे उनका व्रत प्रभावशाली हो सके।

2. व्रती को संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए

3. एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लेकर गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से श्रीहरि की पूजा करें.

4. संध्याकाल में दीपदान करें. तुलसी में दीपक लगाएं.

5. व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें.

उपवास और परम्पराएँ:

इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और विशेष भोग भगवान को चढ़ाते हैं। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत एक परंपरागत धार्मिक प्रथा है जो पीढ़ियों से पीढ़ियों तक बढ़ी है। इसमें अपने पूर्वजों की भक्ति और आध्यात्मिक आचरण की अनुसूचितता होती है, जो समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है।

समापन:

इस लेख के माध्यम से हमने पौष पुत्रदा एकादशी के महत्व, उपयोगिता और इसे मनाने के तरीकों पर चर्चा की है। यह एक प्रेरणादायक और संबंधपूर्ण त्योहार है जो हमें सजग और साकारात्मक बनाता है हमें अच्छे कर्मों की दिशा में प्रवृत्ति करने के लिए प्रेरित करता है। इस अद्वितीय समय का समाचार लेने के लिए हम इसे धन्यवादी हैं।

आप सभी को पौष पुत्रदा एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। ?

लेख से सम्बंधित कुछ प्रश्न — 

 पौष पुत्रदा एकादशी क्या है ?

पौष पुत्रदा एकादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो पौष मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने और इस व्रत पालन करने से संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए इसे 'पुत्रदा' कहा जाता है।

 पौष पुत्रदा एकादशी के दिन क्या उपयोगी सावधानियां हैं?

इस दिन को धार्मिकता और आत्मिक उन्नति के लिए बड़ी महत्वपूर्णता दी जाती है। भक्तजनों को शांति और सुख भाव से इस व्रत का पालन करना चाहिए और विष्णु भगवान की पूजा के साथ भक्ति भावना में रहना चाहिए। विशेष रूप से व्रत के दिन ब्रह्मचर्य और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।

  पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा में कौन-कौन से मंत्र सबसे ज्यादा प्रचलित हैं?

पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा में विष्णु सहित अन्य देवताओं के मंत्रों का जाप करना उपयुक्त है। " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " और "ॐ नमः श्रीमद्वत्सलाय नमः " जैसे मंत्रों का जाप करते हुए भक्ति और उपासना में उन्नति होती है।

  पुत्रदा एकादशी कब है?

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 21 जनवरी 2024 को रविवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषीय परंपरा के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 22 जनवरी 2024 को सुबह 07:14 बजे से 09:21 बजे तक रखा जाएगा।

पोस्ट टैंग — 


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Sunset 06:37 PM
Moonrise 07:00 AM
Moonset 07:28 PM

नक्षत्र —

उत्तर फाल्गुनी - [ देवता: सूर्य, वैदिक नाम: रवि ]

 बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 03 : 10 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 06 : 14 AM तक

तिथि —

प्रतिपदा - [ पक्ष: शुक्ल पक्ष ]

 मंगलवार, 03 सितंबर 2024 : 07 : 25 AM से बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM तक

द्वितीया - [ पक्ष: शुक्ल पक्ष ]

 बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 12 : 21 PM तक

लेखक परिचय — 

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नमस्कार मैं प्रकाश चंन्द आपका ज्योतिष आचार्य। मैं लगभग 25 वर्षों से ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा हुआ हूँ। मैंने काफी सारे लोगों के लिए सटीक भविस्यवाणी की है। साथ ही Today Rashifal in Hindi पर मैं डेली होरोस्कोप के ऊपर भविस्यवाणी करता हूँ। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई। जानकारी पसंद आती है। तो आप इसे अपने सगे-संबंधो के साथ भी साझा करें। 🧡

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