हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पौष पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। इसे पौष मास की पूर्णिमा कहा जाता है, जो विभिन्न सांस्कृतिक आयामों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे कि पुष्यपुर्णिमा, शक्ति पूर्णिमा आदि। यह पूर्णिमा कार्तिक मास के बाद आती है। और साल के पहले महीने पौष में मनाई जाती है अपनी इस पोस्ट में हम पौष पूर्णिमा के बारे में चर्चा करेंगे
पौष पूर्णिमा का मनाना भारतीय समाज में सार्वजनिक समृद्धि, शिक्षा, और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए एक माध्यम है। इस दिन लोग विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों और ध्यान साधने के लिए समर्पित होते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और विशेष रूप से पुणे, नासिक, और हरियाणा के पानीपत जैसी स्थानों में मेला आयोजित होता है। इस मेले में लोग आकर्षित होते हैं और सूर्य भगवान की पूजा अर्चना के लिए एकत्र होते हैं।
पौष पूर्णिमा को धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग अपने धार्मिक कर्मों में समर्पित होते हैं और विभिन्न धार्मिक क्रियाएं करते हैं। मन्दिरों में भक्ति भाव से पूजा अर्चना की जाती है और धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जाता है।
पौष पूर्णिमा को भारत वर्ष में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ एकत्र होते हैं और सामूहिक रूप से पूजा करते हैं। इसे एक बड़े उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है जिसमें लोग विभिन्न प्रकार की खास व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
पौष पूर्णिमा का इतिहास है। कि इसे वेदों और पुराणों में विस्तार से वर्णित किया गया है और इसमें विभिन्न धार्मिक कथाएं और व्रत विधियाँ शामिल हैं।
पूजा सामग्री: पौष पूर्णिमा व्रत के लिए सामग्री फल, फूल, चावल, तिल, गुड़, दूध, घी, दीपक, कपूर, गंगाजल, अक्षत, रोली, चंदन, कुमकुम, मिश्री, और आदि।
पूजा के पूर्व स्नान: पौष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नहाएं। यह व्रत स्नान के बिना नहीं होता है। और स्नान के बाद पूजा स्थल पर जाकर बैठें।
गणेश पूजा: पूजा शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
सूर्य देव की पूजा: पौष पूर्णिमा को सूर्य देव की विशेष पूजा करें। सूर्य देव की मूर्ति या उनके प्रति पूजा करें। भगवान सूर्य और तुलसी की पूजा के बाद, व्रती विशेष पूजा करें और आरती गाएं। पूजा के बाद व्रती को धूप, दीप, फल, और फूल चढ़ाएं, और अपनी प्रदक्षिणा करें।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल पौष पूर्णिमा 24 जनवरी 2024 को रात्रि 9 बजकर 24 मिनट से पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी और अगले दिन यानी 25 जनवरी 2024 को रात्रि 11 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार इस वर्ष 25 जनवरी 2024 को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी।
व्रत के दौरान एकांत में बैठकर भगवान की अराधना करें और श्रद्धापूर्वक मन्त्रों का जाप करें। यह पौष पूर्णिमा पूजा विधि एक आधार है, लेकिन यदि संभावना हो तो एक पंडित या धार्मिक आचार्य से संपर्क करके विधिवत पूजा करना उचित है।
पौष पूर्णिमा के शुभ दिन पर यह माना जाता है कि नदियों में पवित्र स्नान करने से आत्मा जन्म और मृत्यु के कभी न खत्म होने वाले चक्र से मुक्त हो जाती है।
पौष के पूरे महीने में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है?
24 जनवरी 2024 को रात्रि 9 बजकर 24 मिनट पर पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शुरू होगी
बुधवार, 16 अप्रैल 2025 : 06 : 05 AM
बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 03 : 10 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 06 : 14 AM तक
मंगलवार, 03 सितंबर 2024 : 07 : 25 AM से बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM तक
बुधवार, 04 सितंबर 2024 : 09 : 47 AM से गुरुवार, 05 सितंबर 2024 : 12 : 21 PM तक
नमस्कार मैं प्रकाश चंन्द आपका ज्योतिष आचार्य। मैं लगभग 25 वर्षों से ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा हुआ हूँ। मैंने काफी सारे लोगों के लिए सटीक भविस्यवाणी की है। साथ ही Today Rashifal in Hindi पर मैं डेली होरोस्कोप के ऊपर भविस्यवाणी करता हूँ। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई। जानकारी पसंद आती है। तो आप इसे अपने सगे-संबंधो के साथ भी साझा करें। 🧡
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